
परिचय
भगवान शिव जो देवादिदेव और सृष्टि के पालनहार और विध्वंसकर्ता हैं, वे अनेक प्रकार की चीज धारण किए हुए हैं जैसे चंद्रमा, सर्प, रुद्राक्ष आदि। कई बार हम सब इन चीजों का कारण जानने की इच्छा रखते हैं कि सृष्टि का पालनहार जो सबका कारण है ने ये सब चीजें किसलिए पहन कर रखी है।आज इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि शिवजी ने ये सब चीजें क्यों पहन रखी हैं और इनका क्या महत्व है।
शिव के द्वार धरन चीजें
चंद्रमा:सबसे पहले हम चंद्रमा यानी सोम की बात करते हैं। चंद्रमा को शिव ने अपनी ललाट पर धारण कर रखा है।चंद्रमा को नियंत्रण और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। ये शिव के सौंदर्य को बढ़ाते हैं। चंद्रमा शांति का प्रतीक भी है। शिव चंद्रमा के द्वारा नियंत्रण का संदेश देते हैं।शिव ने देवताओं के अनुरोध पर चंद्रमा को धारण किया ताकि वो शिव को शीतलता प्रदान कर सके।
सर्प: शिव ने अपने गले में एक नाग को धारण कर रखा है।इसका नाम वासुकि है।वासुकि नाग कुल का सबसे जहरीला सांप है।कहते हैं जहां शिव रहते हैं वही नागलोक भी है।वही पर नाग रहते हैं।भक्त वत्सल महादेव ने वासुकि को उनके गले में धारित होने का वरदान दिया था।तब से नागराज देवादिदेव के गले में ही विराजमान है।कश्मीर का अनंतनाग नागों के गढ़ के रूप में जाना जाता है।
रुद्राक्ष की माला: रुद्राक्ष का अर्थ है -रुद्र का अक्ष।पौराणिक कथाओ के अनुसार, रुद्राक्ष देवीदेव के आँशुओ से उत्पन्न हुआ है। रुद्राक्ष एक मुख से लेकर 21 मुख तक का हो सकता है।रुद्राक्ष को शिवाय अपने गले में धारण किए हुए हैं।शिव का अक्ष होने के कारण इसका महत्व बहुत बढ़ जाता है।ये इन्हें बहुत प्रिय है।
त्रिशूल: महादेव त्रिशूल भी रखते हैं.इनका त्रिशूल सबसे बड़ा विध्वंसक और अचुक अस्त्र है।ये चलाया जाए तो इसे रोकना असंभव है।यह तीन कलों भूत, भविष्य और वर्तमान को दर्शाता है।ये तीनों काल शिव के ही अधीन हैं।ये शिव की शोभा बढ़ाता है।
डमरू: सभी देवताओं के पास कोई न कोई वाद्ययंत्र है।जैसे सरस्वती के पास वीणा है, कृष्ण के पास बांसुरी है, भ्रम जी के पास शंख है, नारद को महाथी है, उसी प्रकार शिव के पास डमरू है।कुछ तथ्यों द्वार ये भी पता चलता है कि जब कोई तारा ख़तम हो जाता है तो वो डमरू को आकार धारण कर लेता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शिव के सामने डमरू रखने से सुख और समृद्धि आती है।विज्ञान के अनुरूप डमरू ब्रह्माण्डीय उत्पत्ति और विघटन का प्रतीक है।
जटाओ में गंगा: शिव जटाओ में गंगा धारन किये हुए हैं।गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है। जब भागीरथ ने एक अंगुठे पर तपस्या की और द्वार शिव को प्रसन्न किया तब उन्हें वरदान में गंगा को धरती पर लाने के लिए कहा गया। ये कार्य थोड़ा कठिन था क्योंकि गंगा का बहाव इतना तेज था उन्हें धरती पर इस भाव के साथ लाया गया तो सब कुछ जलमग्न हो जाएगा। इसलिए ब्रह्मा जी ने गंगा को अपने कमंडल से छोड़ा और शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में लपेट लिया और कुछ दिन बाद उन्होंने कुछ जटाओ को खोला। गंगा जी हिमालय से होती हुई मैदानी भागो पर गई।इससे गंगा जल से राजा भागीरथ के पूर्वजो को मुक्ति मिली।
नंदी बैल: नंदी शिव का सबसे प्रिय बैल है और उनके गण में सर्वश्रेष्ठ है। ये इनका वाहन है।पौराणिक कथाएँ के अनुसर नंदी शिलाद ऋषि के पुत्र हैं। एक बार ऋषि सिलाद के मन में एक बात याद आई कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई पुत्र और होने के कारण उनका वंस तो नष्ट हो जाएगा। इस भय से उन्हें भगवान महादेव की तपस्या की।शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगे के लिए कहा तो ऋषि ने वर में एक ऐसे पुत्र की प्राप्ति की इच्छा की जो अमर हो, शिव ने तथास्तु कहा। तो उन्हें नंदी के रूप में एक पुत्र प्राप्त हुआ। एक दिन कुछ संन्यासी ऋषि के आश्रम में भोजन के लिए आएं। उन्होनें प्रसन्न होकर ऋषि को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया, लेकिन नंदी को कोई आशीर्वाद नहीं दिया। ऋषि ने विस्मय से इसका कारण पूछा। उन्होनें उत्तर दिया की नंदी की आयु ज्यादा नहीं है। जब नदी को ये पता चला तो उन्होनें शिव की कठीन तपस्या की। महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान माँगने को कहा।नंदी ने कहा कि वो सदेव आपके सानिध्य में रहे।शिव ने उसके बाद उन्हें अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया।
बाघ की खाल और भसम: भगवान शिव अपने शरीर पर बाघ की खाल और भस्म रमाये रखते हैं।राख की धूनी किसी भी चीज के अंतसुन्या का प्रतीक है।कोई भी चीज़ जब अंत में ख़त्म हो जाती है तो राख बन जाती है। शिव इसे ये बताना चाहते हैं कि जब किसी चीज का अंत होता है तो वो मुझमें समा जाती है।यहाँ सभी चीज़ों का कारण मैं ही हूं और मेरे अलावा और कुछ नहीं।
उपसंहार: शिव साकार भी है और निराकार भी।वो अपनी लीलाओ द्वार जगत को कुछ भी संदेश देते हैं जो सदा कल्याणमयी होता है।वो अपने पहनावे से भी इतने अर्थ प्रकट करते हैं जैसे हम संसार की कुछ अद्भुत बातों को समझते हैं।